Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 72( Result: Moment of Terror))

"अरमान,इस बार रिज़ल्ट अच्छा आ जाए तो कल से ही पढ़ाई शुरू कर दूँगा..."

"तू और मत फाड़ बे, ऐसा लग रहा है कि कोई लगातार सीने मे हथौड़ा पीट रहा हो...साला कही हार्ट अटॅक ना आ जाए..."

कैफ़े तक पहुचते पहुचते मैं हल्का-हल्का काँपने लगा था , वहाँ पहले से ही बहुत भीड़ थी, 10 मिनिट्स तक खड़े रहने के बाद एक सिस्टम खाली हुआ तो हम दोनो उसपर बैठे और यूनिवर्सिटी की साइट खोली...जहाँ "बी.टेक फर्स्ट सेमेस्टर रिज़ल्ट" के आगे लाल रंग का टैग चमक रहा था....

"अरुण, आगे तू देख..."

"ना तू देख...यदि तू फैल हुआ तो तसल्ली तो होगी मुझे "अरुण मुझसे बोला

गाली देने का मन तो बहुत किया लेकिन मैने गाली देने की बजाय सीधे अपना रोल नंबर टाइप किया और जैसे ही रिज़ल्ट खुला...मैं एक दम नीचे पहुच गया,जहाँ पास ऑर फेल लिखा रहता है...और उसके बाद...........

मैं खुशी से ऐसे कुदा जैसे वर्ल्ड कप जीत लिया हो और फाइनल मैच का मैन ऑफ़ द मैच मैं ही हूँ.....मैने एक बार फिर कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र डाली, वहाँ सच मे पास लिखा हुआ था...और अब बारी थी अरुण और bhu की.....

मुझे इस वक़्त कुछ भी नही सूझ रहा था कि मैं क्या करूँ, खुश होकर नाचू या फिर चुप चाप वही बैठा रहूं...कैफ़े मे मेरे आलवा भी बहुत लोग थे और मेरी इस हरकत पर वो मुझे पागल बोलकर बाहर भी फेकवा सकते थे,इसलिए मैं शांति से अरुण के साइड वाली चेयर पर शांति से बैठ गया...मेरे इस तरह शांति से बैठने का एक रीज़न ये भी था कि कंप्यूटर स्क्रीन पर अभी अरुण का रिजल्ट था और उसका मैथमेटिक्स मे बैक  लगा था, यानी कि फेल !!!

"होता है बे, टेंशन नही लेने का..."उसका दिल रखने के लिए मैने उससे कहा"मर्द बन और अंकल जी को बिंदास फोन करके बता कि एक मे बैक  लगी है..."

"वही करना पड़ेगा अब...."कान कोचकते हुए अरुण बोला

अरुण को देखकर मुझे नही लगा कि फेल होने से उसे कुछ ज़्यादा एफेक्ट पड़ा है, जहाँ वो रिज़ल्ट देखने के कुछ देर पहले तक लगभग कांप रहा था अब वही वो हल्का सा उदास था बस.....उसने उसी वक़्त अपने इनस्पेक्टर बाप को कॉल करके सब कुछ बता दिया और अब मेरी बारी थी घर मे कॉल करने की....
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मैं पास तो हो गया था लेकिन बहुत ही बुरी तरीके से फँसा था, कई  सब्जेक्ट्स मे तो मैं पास और फैल की बाउंड्री लाइन पर था...मैने एक बार स्पिन पर नज़र मारी....

"6.9...धत्त तेरी की अब तो पिले ढंग से, कहाँ घर वाले 9 पॉइंट + की उम्मीद लगाए बैठे है और इधर स्पिन 7 ही क्रॉस नही हुआ... ,मुझे शुरू से ही ध्यान देना चाहिए था...उपर से वो कुत्ती पांडे की लौंडिया.... टीचरों से अपनी मरवा-मरवा कर अधिक नंबर लाई होगी,साली छिनार... मर क्यों नहीं जाती ये "
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मैं बहुत देर से घर फोन करने की सोच ही रहा था, लेकिन कपई सॉलिड बहाना नहीं मिल रहा था... और इसी बहाने के खोज मे कई बार नंबर डायल करके स्क्रीन से नंबर वापस डिलीट कर चुका था. कि तभी घर से ही कॉल आ गया, मैं कुछ देर तक मोबाइल को हाथ मे पकड़ कर मोबाइल देखता रहा और सोचता रहा कि कॉल पिक अप करूँ या रहने दूँ.....

"हटा, बाद मे मैं खुद ही कॉल करके रिज़ल्ट बता दूँगा...और वैसे भी कौन सा अच्छा रिज़ल्ट आया है ,जो मैं तुरंत बताऊ..."

"अबे मेरी बैक  लगी है फिर भी मैने अपने घर मे बता दिया और तू पास होकर भी डर रहा है,साले डरपोक...be a mard ! उठा फोन और एक सांस मे सब बता दे... जैसे शुरू -शुरू मे एक सांस मे दारू पिया था"

"उठा लूँ...?"

"बिल्कुल..."

"सच मे उठा लूँ..."

"अब तुझे कंप्यूटर मे टाइप करके प्रिंट दूं, तब मानेगा ..."

"अच्छा ठीक है...फिर "

मैने कॉल रिसीव किया और कॉल रिसीव करते ही भकाक से रिजल्ट बता दिया... मैने जब अपना रिज़ल्ट घर मे बताया तो मेरे पापा जोरो से मुझ पर चीखे, गरियाया... यहाँ तक कि कई  तरह की धमकिया भी दी....उसके बाद जब भाई ने फोन थामा तो वो डीटेक्टिव बनकर बात करने लगा....मेरा बड़ा भाई मेरी इस बर्बादी के पीछे की वजह की तहक़ीक़त करने के लिए जल्द ही मेरे कॉलेज आएगा ... .ऐसा उसने फोन पर कहा ... जिसके आधे घंटे बाद फोन मेरी माँ के हाथ मे पहुचा और हमेशा की तरह उनका एक ही डाइलॉग था...

"पांडे जी की बेटी का 9.5 बना है,अब क्या बोलेंगे उनको.. यदि उन्होंने तेरा रिजल्ट पूछा तो ..."

"ओके,अब फोन रखता हूँ... बैलेंस ख़त्म हो रहा है..."बोलते हुए मैने कॉल कट कर दी और तब मुझे ध्यान आया कि कॉल तो उधर से आया था...फिर मेरा बॅलेन्स कैसे कम होगा...???? साला मै भी एकदम too much हूँ
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Bhu ने 7.5  मारा था और नवीन ने 7.7... इन दोनो को बुक्स से चिपके रहने का फ़ायदा मिल चुका था...लेकिन इधर मेरी और अरुण.. .दोनो की हालत खराब थी, अरुण के 7.2 बने थे... लेकिन M-1 मे उसका बैक  था ,मेरे ऑल सब्जेक्ट क्लियर थे...लेकिन एसपीआइ 7 पॉइंट भी नही था ,और उस वक़्त अपुन ने प्रतिज्ञा ली की कुछ भी हो जाए... अब पेल के पढ़ाई करना  है....जबकि मैं उस वक़्त जानता था कि ऐसा अब हरगिज नही हो सकता...क्यूंकी मुझमे जो चेंजस फर्स्ट सेमेस्टर मे आए थे वो सभी irreversible थे , मतलब कि अब मैं जो हूँ,आने वाले सालो मे भी ऐसा ही रहने वाला था.... कोई मुझे किसी भी reactantस की मदद से पहले जैसा नही बना सकता था... एक बार बदहाली की आदत लग जाए तो उसे फिर खुद से दूर करना बहुत मुश्किल है.... मैं ये बखूबी जानता था कि मैं किस राह पर चल रहा हूँ, मैं ये भी जानता था कि ये राह मुझे किस मंज़िल तक ले जाएगा...लेकिन फिर भी मैने वो राह नही बदली.... Attitude 😎
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मुझे पूरा यकीन है कि यदि मैने खुद को बदलने की थोड़ी सी भी कोशिश की होती तो आज मायने कुछ और होते, मैं कही और होता और मेरे अरमान भी कही और होते... .मेरे पापा को अब भी यकीन नही हो रहा था कि मेरे इतने कम मार्क्स कैसे आ गये, और मुझे यकीन नही हो रहा था कि मैं पास कैसे हो गया...?  एग्जाम्स  तो काला अक्षर भैंस बराबर गया था, यानी कि एग्जाम्स  मे जो क्वेस्चन नही पुछा गया था ,मैने उसका भी आन्सर लिख दिया था या फिर ये कहे कि मुझे जिस यूनिट से जो बनता था मैं क्वेस्चन नंबर डालकर वही छाप मारा.... मुझे कोई नहीं मतलब था कि सवाल क्या है...? मैने जवाब वही लिखा जो मुझे आता था.😜 मतलब सॉफ था कि  चेकिंग एक दम ईज़ी हुई थी... और ऐसे ही होती है.. इसलिए यदि कोई कमजोर छात्र ये स्टोरी यहाँ तक पढ रहा है तो देख लो बे, पास होने का ये ट्रिक है... इससे जिंदगी तो नहीं सुधरेगी, लेकिन फेल नहीं होगे...

बाकी सब्जेक्ट्स मे तो मैने फिर भी बहुत कुछ लिखा था,लेकिन ड्रॉयिंग के पेपर मे तो मैने सामने वाले लड़के की ड्रॉयिंग शीट देखकर उल्टी-सीधी,आडी-टेढ़ी लाइन्स खींचकर सिर्फ़ ड्रॉयिंग बनाई थी, हम दोनो के बीच डिस्टेन्स इतना था कि मुझे ये तक मालूम नही चल पा रहा था कि वो किस क्वेस्चन की ड्रॉयिंग बना रहा है... At the end ,मैने अपने अनुमान से क्वेस्चन नंबर दे डाला....लेकिन फिर भी साला मैं पास हो गया

मेरे घरवाले भले ही मेरे रिज़ल्ट को लेकर नाराज़ हो लेकिन मैं बहुत खुश था,क्यूंकी मुझे मालूम था की मैने इस पूरे सेमेस्टर मे सिवाय बक्चोदि कुछ भी नही किया था....जिस दिन रिज़ल्ट निकला उस दिन मैं बहुत खुश था,इतना खुश कि यदि उस वक़्त कोई मुझसे मेरी जान भी माँग ले तो मैं उस वक़्त उसे हां कर दूँ,बाद मे भले ही पिछवाड़े मे चार लात मारकर भगा दूँ....
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दूसरे दिन कॉलेज पहुँचे तो सभी टीचर पढ़ाने की बजाय हर एक को खड़ा करके उसका रिज़ल्ट पुछ रहे थे, जिनका बैक  नही था ,जैसे कि मेरा... वो शान से खड़े होते और सीना तानकर बोलते "AC ~ All Clear"

और जिनका बैक  लगा था वो यही चाह रहे थे कि उनका नंबर ही ना आए ,लेकिन ऐसा हो नही सकता था और हुआ भी नही....इस वक़्त क्लास दमयंती यानी दम्मो रानी की थी और उसने मेरे बाद अरुण को खड़ा किया....

"जी मैम ..."

"जी मैम , क्या...ac या ab.."

"AB मतलब...?"

"AB मतलब all back...आज तक मालूम नही था क्या? क्या इंजीनियरिंग करोगे तुम "दंमो रानी अपनी नज़र से ही फायर करते हुए बोली..

"एक मे लुढ़क गया मैम .."

"बैठो...पढ़ोगे-लिखोगे नही तो इससे भी बुरा हाल होगा...अभी ये हाल है तो बाद मे क्या होगा... छोड़ दो इंजीनियरिंग "
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और उसके बाद अरुण जैसे बैठा मैने उसके मज़े लेने शुरू कर दिए....

"बेटा देख ,मैं बिना पढ़े एसी हूँ और तू दिन रात रट्ता मारने के बाद भी पेला गया..."

"एसपीआइ ज़्यादा है तेरे से... समझा.. औकात मे रहकर बात कर 6.9"अरुण बोला..

"इस सेमेस्टर मे ,वो भी क्रॉस कर दूँगा...लेकिन बात यहाँ बैक  की है...वो देख नवीन भी एसी, अपना भोपु भी एसी....बस तू ही एक लड़निपोर फँसा है हमारे फ्रेंड सर्कल मे जो फेल हो गया.... छी.. आकक थू... पहले मुझसे बात मत करना तू... आज के बाद "

"देख एक काम कर...चुप चाप कल्टी हो जा...वरना  बम्बू पूरा का पूरा अंदर डाल दूँगा,एक इंच भी बाहर नही रहेगा...और यदि तू फिर भी नही माना तो तेरे शर्त के 2000 भूल जाना..."

"अरे नही यार...भाई है तू अपना...यही तो प्यार है पगले "

"चल नाश्ता करा फिर..."

"चल आजा, वैसे भी कैंटीन  गये बहुत दिन हो गये... आज तेरे फेल होने कि ख़ुशी मे कैंटीन चलकर  लड़कियो को ताडते है "

दंमो रानी का पीरियड कब का ख़त्म हो चुका था और उसके बाद वाली क्लास खाली चल रही थी,किसी ने हमे ये भी बताया कि ये पीरियड खाली ही जाने वाला है तो मैं और अरुण वहाँ से उठे और क्लास से बाहर की तरफ निकले...

"कहाँ जा रहे हो बे..."नवीन बोला, आज वो नये-नये कपड़ों मे चमक कर आया था...

"लड़कियों को पेलने , तू भी चलेगा क्या..."ये पंच अरुण ने सबके सामने मारा....और उसके बाद सभी लड़के-लड़किया अरुण का मुँह ताकने लगे...

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1 Comments

Barsha🖤👑

26-Nov-2021 06:13 PM

बहुत खूबसूरत भाग

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